Tuesday, October 28, 2008

My fevret हीरो and my fevret gaykar hamar Monoj bhaiya
हमार नाम प्रदीप सिंह हवे हम गोरखपुर के रहे वाला हई हम पहली बार इन्टरनेट के जरिये आप लोगन के पास आपन बात पहुचावल चाहत बानी लेकिन सबसे पहिले आप लोगन के एगो कवित्ति सुनावल चाहत बानी ओकरे बाद फ़िर आगे अबहिन बहुत कुछ बतियावेके बा आ बहुत कुछ पुछेके बा ............................पहिले हई कबित्ति सुनल जा ............

एगो पुरनिया अपने लरिका के उपर बनाके कहत बा ........................ध्यान दिहल ज्ञाई***
कांची खुरपी और कुदारी! इहे हमरे जिनगी केसिंगारहमसुपवे के सुपवे में हई ! दुनिया कहवा से कहवा गइलआ सरले सावन भरले भादो सदा rahile एक तारआ देखि -देखा ऊआइले दरसल में जोंहरिया सियार हई आ बाबु हम निपट गवार हई दादा हम निपट गवार हई !हमरो लरिका पढ़वैया हवे बारह में पढ़हत बा ! आ कहेला जिस दिन पास हो जाइब ओहिदिनवे नोकरी धइलबा पॉँच साल उ दस में लगवलस आ दो साल इग्यारह में आ मेनहत के धुर्रा तोड़ देहलस लग गइल तिसाला बारह में अरे इ सोम हवे त हम इतवार हई बाबु हम निपट गवार हई दादा हम निपट .........बेगम अउर मोमताज के फोटो रखले बा , चौराहा पर सिटी मारत बा आ गहना- गुरिया के का बात बा इ थरिया बान्हे धरवावत बा इ खोदनी लेके लावत बा , इ भुज हवे त हम भार हई बाबु हम निपट गवार.....................

Friday, October 24, 2008

चुटकिला

मनोज भईयाके सबसे बड़ा फैन हई के के चक्क दे बच्चे के प्रोग्राम देखेला हमके बतालावल जाई धन्यवाद

अब चुटकिला सुनल जा

एगो बूढी रहल त ओकरे दातेमें बड़ा दर्द होत रहल त उ गइल एगो डाक्टर के लगे और कहलस की ऐ डॉक्टर साहब हमारे दातमें बड़ा दर्द होत बा हमार दतवा निकाल देईत डॉक्टर कहले की ठीक बा अब्बे हम निकाल देत बानी ओकरे बाद डॉक्टर आपन औजार लेके अईले और कहले की मुंह खोली त बुढ़िया मुंह खोल दिहलसि


ओकरे बाद डॉक्टर साहब कहले तनी और खोली त बुढ़िया तनी और मुंह खोललसी फ़िर डॉक्टर कहलस तनी और खोली ओकरे बाद बुढ़िया पुरा मुंह खोल दिहलस ओकरे बाद डॉक्टर कहत बा की तनी और खोली त बुढ़िया के बड़ा तेज रिसिआइल अउर कहलस की अरे उल्लू के पट्ठा झोला छाप डॉक्टर हमरे मुंहवा में हलीके दतवा निकलबे कारे लौडाकेपुते तोरे माँऊटी में कीड़ा पड़े





इ चुटकिला कइसन लागल हमारा जरुर बतालावल जाई .....................

Thursday, October 23, 2008

कवित्ति

My fevret हीरो and my fevret gaykar hamar Monoj bhaiya

हमार नाम प्रदीप सिंह हवे हम गोरखपुर के रहे वाला हई हम पहली बार इन्टरनेट के जरिये आप लोगन के पास आपन बात पहुचावल चाहत बानी लेकिन सबसे पहिले आप लोगन के एगो कवित्ति सुनावल चाहत बानी ओकरे बाद फ़िर आगे अबहिन बहुत कुछ बतियावेके बा आ बहुत कुछ पुछेके बा ............................पहिले हई कबित्ति सुनल जा ............

एगो पुरनिया अपने लरिका के उपर बनाके कहत बा ........................ध्यान दिहल ज्ञाई

*** कांची खुरपी और कुदारी! इहे हमरे जिनगी के सिंगार
हम सुपवे के सुपवे में हई ! दुनिया कहवा से कहवा गइल
आ सरले सावन भरले भादो सदा rahile एक तार
आ देखि -देखा ऊआइले दरसल में जोंहरिया सियार हई
आ बाबु हम निपट गवार हई दादा हम निपट गवार हई !
हमरो लरिका पढ़वैया हवे बारह में पढ़हत बा !
आ कहेला जिस दिन पास हो जाइब ओहिदिनवे नोकरी धइलबा
पॉँच साल उ दस में लगवलस आ दो साल इग्यारह में
आ मेनहत के धुर्रा तोड़ देहलस लग गइल तिसाला बारह में
अरे इ सोम हवे त हम इतवार हई बाबु हम निपट गवार हई दादा हम निपट .........
बेगम अउर मोमताज के फोटो रखले बा , चौराहा पर सिटी मारत बा
आ गहना- गुरिया के का बात बा इ थरिया बान्हे धरवावत बा Remove Formatting from selection
इ खोदनी लेके लावत बा , इ भुज हवे हम भार हई बाबु हम निपट गवार.....................